कमलेश जोशी की कलम से...

प्रेयसी.....



तुम हो हृदय, तुम रागिनी हो,
मेरे हृदय की स्वामिनी हो,
हर सांस में तुम महकती हो,
हर ख्वाब में तुम संवरती हो।

हर पल तुम्हीं को खोजता हूं,
सच है प्रिये मैं पूजता हूं,
तुम हो तो रौशन ज़िंदगी है,
चहुं ओर फैली इक खुशी है।

तुम साथ हो फिर उद्विग्नता क्यों,
संशय कहां फिर वेदना क्यों,
हर राह में तुम मेरी संगी
हो प्रेयसी अनुपम तरिंगी।

..... कमलेश




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