कमलेश जोशी की कलम से...

सत्य है.....



मैं हूं...
ये सत्य है,
समय के बहाव में
बह रहा हूं.... सत्य है,
निरंतर जीवन के
उतार औ चड़ाव में,
मिलते - बिछड़ते स्नेह की
सुगंधित मिठास को
अनुभव कर रहा हूं.... सत्य है।

जीवन के चरम पर
पहुचुंगा कभी,
आ सकूंगा काम
निस्वार्थ - शायद कभी,
जी सकूंगा - सार्थक
प्रयास की ये आस
लिए पास .... जी रहा हूं,
ये भी सत्य है।

......... कमलेश




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