जीवन लहर.....
जीवन की सुंदर नैया को
जब दिया झोंक भवसागर में,
फिर क्यों घबराना लहरों से
छोटी मोटी हर उलझन से।
उस पार लगाना ही होगा
चाहे मुश्किल जितनी भी हो,
सागर की उफनती लहरों में
हो संभल दूर जाना होगा।
हर लहर का अपना मकसद है
कुछ ऊचाई पर लाएंगी,
कुछ अनुभव नए सिखाएंगी
जीवन की राह बताएंगी ।
फिर इनसे क्यों डर जाना है
विश्वास नया जगाना है,
लहरों को चीर बड़ जाना है
मंज़िल को गले लगाना है।
इस उथलपुथल के जीवन में
तू अपना स्वयं खिवैया है
नौका तेरी, सागर तेरा
पतवार तेरी, है राह तेरी
फिर क्या इसको उसको कहना
कर दृढ़ निश्चय आगे बढ़ना ।
........ कमलेश
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