कमलेश जोशी की कलम से...

अनुभूति......



सूर्योदय के साथ
पर्वत शिखरों पर
बिखरती लालिमा,
और श्रृंखलाओं का
स्वर्णिम हो दमकना,

जमीन पर फैली
ओस से भीगी
दूब पर चलना,
मन में व्याप्त
कोलाहल का
शांत हो जाना,

फिर रश्मिरथ पर चढ़
आसमान की
ऊंचाईयों में विचरना,
हृदय को अनंत
सुख के शिखर
पर ले चलता है।

........ कमलेश




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