कमलेश जोशी की कलम से...

अभिलाषा.....



अभिलाषा

चलो खुश हों निभा लें ज़िंदगी से
जिएं दिल की सभी शर्तों को लेकर,
खड़े हों भू पर और आकाश छू लें
बुलंदी एक नयी फिर आज छू लें!
ये जीवन सूर्य सा उजला बना लें

हृदय में चांद सी झिलमिल सजा लें,
किसी के साथ कुछ पल बांट लें, और
किसी का हाथ कुछ पल थाम भी लें।
ये जीवन एक चुनौती है तो क्या फिर
संघर्षों से भरी है एक डगर फिर,
चलेंगे पार इसको जीत कर हम
रचेंगे नवल सुंदर राह को हम।
रचा जो स्वप्न है, अभी साकार करना
जो हमने देखा है, मिलकर समझना,
सजेंगी सब दिशाएं हमारे कर्मफल से
मिलेगी जीत हमको हर तरफ से।

.....कमलेश




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