कमलेश जोशी की कलम से...

अशांति.....



हर तरफ, हर जगह
संवेदनाएं समाप्त,
मानवता शून्य,
सिर्फ स्वार्थ, और स्वार्थ।

हरेक ने चश्मा पहना है,
कोई लाल , कोई हरा
सब अपने चश्में से
अपना ही राग अलापते।

घिन सी आती है,
बड़ा भयावह है ये सब।

घर बनाने में वक़्त लगता है
पसीना बहता है,
बहुत संघर्ष होता है,
इक उम्र खप जाती है,

और इन्हें तकलीफ ही नहीं होती,
ये सब उजाड़ने में,
किसी को मारने में,

मेहनत से बनाए
घर को जलाने में,
किसी की रोज़ी को
तबाह करने में,

उस दुकान, कार, घर,
का तो कोई धर्म भी नहीं,
उसको भी जला दिया,
सिर्फ इसलिए कि
वो फलां व्यक्ति की है।

सच कहूं,
जिसने भी जलाया
घर, कार, दुकान
और मारा किसी को भी
वो इन्हें जानते तक ना थे।

इसलिए ये दरिंदे,
कुछ भी हो सकते हैं,
पर इंसान नहीं।

इनके आकाओं को
ये याद रखना होगा,
चिरस्थाई सिर्फ एक चीज़ है
वो है, परिवर्तन।

समय बदलेगा,
इतिहास सब को
कठघरे में खड़ा करेगा

उनको भी जो आज
लाल ऐनक में है,
और हरे में भी।

..... कमलेश




प्रतिक्रियाएं :

Priti Singh (Ranikhet)
Posted On: 22-12-2020

Very nice
Thank you.
- Kamlesh Joshi
Your Name
Contact Number
Email Id
City
Comments