कमलेश जोशी की कलम से...

समय.....



समय को देख इतनी तेज चलते
फिसलते अपने हाथों से सरकते
देखते दोस्तों को खुद से बिछड़ते
बहुत व्याकुल मेरा मन होता जाता
अजीब सा डर मेरे भीतर समाता।

इधर से उधर जो सब दौड़ते हैं
ले ख्वाहिशों का बोझ सर भागते हैं
नहीं उनको खबर क्या हो रहा है
समय अपना सफ़र भी कर रहा है
अनोखी चाल से गति कर रहा है।

असंख्य उत्श्रंखलों को रौंद डाला
समय का है अलग ही बोलबाला
है उसका न्याय अपने ही तरह का
बिना आवाज़ के जो घिस रगड़ता
शक्ति भी सोचने की छीन लेता।

हृदय में भान ये हर वक्त रखिए
जरूरतमंद का भी ख्याल रखिए
ना केवल दौड़िये खुद के लिए ही
वरन ले साथ गिरतों को भी चलिए
कमाई धन नहीं जीवन में है बस
थोड़ा सत्कर्म ले ये राह गुनिये।

..... कमलेश




प्रतिक्रियाएं :

Priti Singh (Ranikhet)
Posted On: 22-12-2020

Very nice
Honoured
- Kamlesh Joshi
Your Name
Contact Number
Email Id
City
Comments