होई सोई जो.....
सब होने का कुछ कारण है
मिल औ बिछुड़ना सब तय है
हम स्वयं कयास लगाते है
समझाते हैं अकुलाते हैं
हृदय विसाद बढ़ाते हैं
मन भरमाता-झुंझलाता है
केवल आवेग बड़ाता है
रफ्तार वही काबिल होती
जो समझ सहज हो चलती है
नाहक चिंता जीवन डोरी,
को, असमय जर्जर करती है
अति हर्ष में संयम रख पाये, और
दुख क्षण में धैर्य जुटा पाये
उसका जीवन खिल जाता है
सुंदर उपवन बन आता है.
..... कमलेश
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