यूं तो कई बार लोगों का परिचय महफ़िल से करवाया है, परन्तु जब खुद के बारे में शेखी बघारनी हो तो आप थोड़ा असहज महसूस करते हैं......
वही आज मैं खुद को व्यक्त करने में पा रहा हूं।
वैसे करना तो बहुत कुछ चाहता था कि, ये करूं या वो करूं, पर जीवन को दौड़ में कुछ चीजें फिसल गई तो कुछ खुद ब खुद मेरा हिस्सा बन गईं।
साहित्य के प्रति मेरी रुचि शायद मेरे पिता जी की देन है, जो स्वयं एक कर्मठ शिक्षक रहे। उनके किसी भी प्रसंग की व्याख्या करने का अंदाज अनुपम था। हिंदी हो या अंग्रेजी, किसी भी अंश का चित्रण उनके व्याख्यान में सजीव हो उठता था। यही कारण रहा कि मेरा मन भी मुझे कभी कभार लिखने को जागृत करता रहा।
कभी कच्चा तो कभी सामान्य लिखने को प्रयास किया।
शुरुआती दौर में लिखी कविताएं, इधर उधर पड़ी रहीं या फिर कभी कागज की नाव या जहाज में तब्दील हो अतीत के गर्भ में समा गईं। न मैंने कभी उनको संभाला और न ही किसी गंभीरता से लिया।
फिर अचानक एकाध बार मेरी लिखी कुछ पंक्तियां मेरे साथियों को पसंद आ गई और मुझे ये सलाह दी जाने लगी कि इनका संग्रह किया जाय।
सोचा कि चलो ये भी कर के देखते हैं... पर कैसे?..... ये एक चुनौती थी।
तभी साथ मिला मेरे तकनीकी विशेषज्ञ मित्र पंकज पांडे जी का।
फिर क्या था, उनके सहयोग से बन गई एक वेबसाइट......
www.kamleshjoshi.co.in
अब निरंतर प्रयास जारी है कि कुछ जीवन से जुड़ा हुआ लिखूं और आप सभी से साझा करूं।
स्वरचित के साथ साथ कुछ और पठनीय सामग्री भी साझा करने की कोशिश करूंगा जो शायद आप सुधि पाठकों को रुचिकर लगे।
इसी उम्मीद के साथ, आपके सुझावों एवं उत्साहवर्धन की अपेक्षा में......
-कमलेश जोशी